रावण कंस कहो कब उपदेशो से माने हैं, सच्चाई को सदा इन्होने मारे ताने हैं...काम सांप का डसना है, मौके पर डस लेगा, कुचले बिना काल अपने पंजे में कस लेगा...मांगे से गरीब को कब मिलती मजदूरी है, दुष्ट नहीं माने तो हिंसा बहुत जरुरी है...शांति शांति को जपते जपते हम जड़ हो बैठे, कोहिनूर सा दुर्लभ हीरा तक भी खो बैठे...खो बैठे कैलाश, कबूतर श्वेत उड़ाने में, अचकन की जेबों पर लाल गुलाब लगाने में...पर झंडा ऊँचा है, यदि डंडे की मंजूरी है, दुष्ट नहीं माने तो…